प्रश्न01:- कीलकित कुंडली या वेस्टन धारामापी का नामांकित चित्र बनाते हुए रचना तथा कार्य विधि समझाइए
अथवा
कीलकित कुंडली की रचना तथा कार्य विधि समझाइए
उत्तर- किलीकत कुंडली या वेस्टन धारामापी का नामांकित चित्र
जहाँ -
NS- नाल चुम्बक
A - कुण्डली
C - नर्म लोह के क्रोड
P1 P2 - कीलक
S1 S2 - स्प्रिंग
P - संकेतक
T1 T2 - संयोजक पेंच
रचना - चित्र में प्रदर्शित कीलकित कुंडली धारामापी में N S एक स्थाई चुंबक होता है जिसके दो खंड अवतल बेलनाकर कटे होते हैं इनके मध्य एक कुंडली A दो कीलको P1 और P2 के सहारे ……………….
लटका दी जाती है कुंडली के मध्य में नर्म लोहे का क्रोड C लटका होता है जो कुंडली को कहीं भी स्पर्श नहीं करता दोनों कीलको P1 P2 पर दो स्प्रिंग S1 S2 विपरीत क्रम में लिपटे रहते हैं जिनका संबंध आधार में लगे संयोजी पैसों T1 और T2 से कर दिया जाता है कुंडली के साथ एक और अशाकित लगा रहता है संपूर्ण उपकरण को अचुंबकीय पदार्थ के बॉक्स में बंद कर देते हैं.
सिद्धांत या कार्यविधि- जब कुंडली में धारा प्रवाहित की जाती है तो कुंडली पर विक्षेपक बल युग्म का आघूर्ण nIAB कार्य करने लगता है
जहां n फेरों की संख्या A कुंडली का क्षेत्रफल विद्युत धारा तथा B चुंबकीय क्षेत्र है
विक्षेपक बल आघूर्ण के कारण स्प्रिंग S1 और S2 में ऐण्ठन उत्पन्न हो जाती है जिसे ऐण्ठन बल आघूर्ण कहते हैं
ऐण्ठन बल आघूर्ण = CQ
जहाँ Q कुंडली का विक्षेप तथा C एकांक ऐण्ठन के लिए ऐण्ठन वल आघूर्ण है.
सन्तुलन अवस्था में
विक्षेप वल आघूर्ण= ऐण्ठन वल आघूर्ण
nIAB = CQ
I = C/nAB . Q
I = K Q
जहॉ K = C/nAB एक नियतांक है
I अनुक्रमानुपाती Q
प्रश्न02:- दो लंबे सीधे और समांतर धारावाही चालकों के मध्य प्रति एकांक लंबाई पर लगने वाले बल के लिए व्यंजक व्युत्पन्न कीजिए
उत्तर -
माना कि P Q और RS दो लंबे सीधे चालक हैं जो एक दूसरे के समांतर तथा d दूरी पर स्थित हैं
यदि चालक P Q में धारा I1 प्रवाहित की जाए तो उससे d दूरी पर स्थित चालक RS के किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता
/4π d
B = म्यू० 2I1/4π d …..……1
फ्लेमिंग के दाएं हाथ के नियमानुसार इस क्षेत्र की दिशा कागज के तल के लंबवत नीचे की ओर होगी मान लो इस क्षेत्र में दूसरा चालक RS स्थित है
जिसमें धारा I प्रवाहित की जाए तो इस चालक की l लंबाई पर लगने वाला बल
F1 = I2 lBSin90°
F1 = I2 lB चुंकि Sin90° = 1
समीकरण 1 से B का मान रखने पर
F1 = I2 l म्यू० 2I1/4π d
F1 = 2म्यू० I1I2l/4π d ………2
चालक RSकी प्रति एकांक लंबाई पर लगने वाला बल
F = F1 / l
समीकरण 2 से F1 का मान रखने पर
F = 1 / l 2म्यू० I1I2l/4π d
F = म्यू० 2I1I2/4π d….……3
F = म्यू० I1I2/2π d
जब दो समांतर चालकों में एक ही दिशा में धारा प्रवाहित की जाती है तो वह एक दूसरे को आकर्षित करते हैं और विपरीत दिशा में धारा प्रवाहित की जाती है तो वह एक दूसरे को प्रीतिकर्षित करते हैं
यही दो लंबे सीधे और समांतर धारावाही चालकों के मध्य प्रति एकांक लंबाई पर लगने वाले बल के लिए व्यंजक है
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