CGBSE Class 12th Biology Set-C open book paper Solution 2021
CG board exam paper 2021
Class 12th
Subject-biology set-C
उत्तर 1. तरल भ्रूण कोष नावियल मे पाया जाता है।
उत्तर 2. फसल के साथ उगने वाले अवांछित पौधे को खरपतवार कहते हैं।
उत्तर3. ह्यूमोलिन
उत्तर 4. बी ओ डी का पूरा नाम biochemical oxygen demand है।
उत्तर 6 पराग स्त्रीकेसर संकर्षण पारस्परिक क्रिया परागकण एवं परिवार के रासायनिक घटकों के माध्यमों ने वाली पारस्परिक क्रिया को पराग स्त्रीकेसर संकर्षण कहते हैं।
उत्तर7. साइलेंट जींस वे जींस हैं जो अपनी अभिव्यक्ति को प्रदर्शित नहीं करते इन की अभिव्यक्ति आवश्यकता पड़ने पर होती है।
उत्तर 8 एक उत्परिवर्तन क्या है एक उत्परिवर्तन एक पदार्थ या एजेंट है जो डीएनए की हानि का कारण बनता है जिसके परिणाम स्वरूप डीएनए अनुक्रम में परिवर्तन होता है डीएनए अनुक्रम के इस परिवर्तन को उत्परिवर्तन के रूप में जाना जाता है।
उत्तर 9 दो प्रोटोजोआ तथा उनसे होने वाले रोग का नाम
प्रोटोजोआ बीमारी
एंटेमीबा हिस्टॉलिटिका अमीबीएसीस
जियार्डीया इंटेस्टाइनेलिस अतिसार या डायरिया
उत्तर10. 1. विश्व के कारण अन्य प्राकृतिक जीव ऐसे परागण कार्यों की मृत्यु हो जाती है वह खाद्य श्रंखला में परिवर्तन हो जाता है।
2. इनकी लगातार प्रयोग से कीट इन फसलों के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं फिर इन्हें खत्म करने के लिए रासायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता पड़ती है।
उतर 11. स्वपरागण तथा पर परागण में अंतर
स्वपरागण=
स्व परागण की क्रिया एक ही पौधे की पुष्टि की परागकण तथा वर्तिकाग्र के बीच होती है।
स्वपरागण के लिए पुष्पों का द्विलिंगी अथवा पौधों का उभयलिंगी होना आवश्यक है।
इसके लिए कम संख्या में परागकण की आवश्यकता पड़ती है।
जातियों या किस्मों के विकास की संभावना नहीं होती।
यह परागण किसी बाय स्त्रोत पर निर्भर नहीं करता है अतः परागण होना सुनिश्चित होता है।
6.बार-बार सब परागण पश्चात उत्पन्न होने वाले पौधे अपेक्षाकृत दुर्बल होते हैं।
पर परागण=
पर परागण की क्रिया में एक ही जाति के 2 पौधे के 2 पुत्र के प्राण तथा वर्तिकाग्र संगलन होते हैं।
इसके लिए पौधों की द्विलिंगी पुष्प युक्त या उभय लिंगी होना आवश्यक नहीं होता है।
इसके लिए अधिक पराग कणों की आवश्यकता होती है।
जातियों एवं किस मुंह में विकास की संभावना होती है।
पर परागण के कारण गुणों की शुद्धता अछिन्न नहीं रहती है।
यह किसी अन्य स्रोत पर आश्रित होता है आता पर परागण हो ही जाएगा यह निश्चित नहीं होता है।
पर परागण से उत्पन्न होने वाले पौधे प्रायः स्वस्थ होते हैं।
उतर 12. भारत में जनसंख्या वृद्धि पर अत्यधिक होने के कारण राष्ट्रीय संकट उत्पन्न हो गया है अतः गर्भनिरोधको का उपयोग न्यायोचित इसके उपयोग से परिवार को सीमित किया जा सकता है एवं उनकी सुविधाओं में वृद्धि की जा सकती है इन गर्भनिरोधक के उपयोग से यौन संचारित रोगों से बचा जा सकता है इसके साथ ही दो संतानों के बीच अंतराल भी रखा जा सकता है जनसंख्या वृद्धि को कम करके परिवार समाज व देश की सवृद्धि में सहयोग कर सकते हैं।
उत्तर 13.
1. हिमोफिलिक पुरुष तथा बाहक स्त्री से उत्पन्न संतानों में 25 %पुत्र हीमोफीलिक एवं 25 % पुत्र सामान तथा 25% पुत्रियां हिमोफिलिक एवं 25% होती या बाहर होंगी।
2. सामान्य पुरुष तथा हिमोफिलिक स्त्री द्वारा उत्पन्न संतानों में सभी पुत्र हिमोफिलिक तथा सभी पुत्रियां वाहक होंगी।
3. हिमोफिलिक पुरुष तथा सामान्य स्त्री से उत्पन्न संतानों में सभी पुत्र सामान्य तथा सभी पुत्रियां वाहक होंगी।
4. सामान्य पुरुष तथा वाहक माताओं से उत्पन्न संतानों में 25% लड़के हिमोफिलिक तथा 25% लड़के सामान होते हैं इसी प्रकार पुत्रियों में 25% सामान होती हैं।
उत्तर14. बैक क्रॉस= जब किसी शंकर का किसी भी जनक से संकरण कराया जाता है तो उसे बैक क्रॉस कहते हैं उदाहरण जब शुद्ध लंबी एवं शुद्ध होने पौधे से प्राप्त प्रथम पीढ़ी के संकर लंबे का संकर का संकरण किसी भी जनक से करा जाता है तो उसे बैक क्रॉस कहेंगे।
उत्तर 15 जैसे AUG एंटीकोडॉन UAC होता है।
एंटीकोडान -m-RNA के कोडाना के लिए t-RNA पर कुछ विशिष्ट कोडान पाए जाते हैं,जिनके कारण ही t-RNA,m-RNA पर जोड़ता है,t-RNA के इन कोडॉनो को एंटीकोडॉन् कहते है।
उत्तर 16.
1. प्लाज्मोडियम वाईवैक्स (p.v) यह प्रकार पूरे दुनिया हुआ है ।और इंडिया में भी बहुत प्रचलित है। इंडिया के लगभग 60%परसेंट मलेरिया के द्वारा फैलाए गए हैं। भले ही इस प्रकार में बीमारी काफी गंभीर है परंतु मेरे तू बहुत ही काम कैसे होती है इसके लक्षण दस्त थकान और बुखार है।
2. प्लाज्मोडियम ओवाले (p.o)यह प्रकार मुख्य रूप से ट्रॉपिकल वेस्ट अफ्रीका में पाई जाती हैं यह सबसे दुर्बल प्रकार है जो कोई अनुबंध कर सकता है यह कितनी दरबार इसलिए हैं कि मच्छर के काटने के बाद पैरासाइट इंसान के शरीर में वर्षों तक रह सकते हैं
3. प्लाज्मोडियम मलेरिया (p.f.)यह प्रकार अमेरिका अफ्रिका और साउथईस्ट एशिया के ट्रॉपिकल जगहों में पाई जाती है। यह बाकी प्रकार जैसा जानलेवा नहीं माना जाता है इस मलेरिया के प्रकार लक्षण ठंड और तेज बुखार है।
4. प्लाज्मोडियम फेलिक्सशेराम (p.d)सबसे अधिक मलेरिया के कारण मृत्यु इसी प्रकार की वजह से होती है यह मुख्य रूप से साउथ ईस्ट एशिया साउथ अमेरिका और अफ्रीका में पाया जाता है लक्षणों में चक्कर आना मांसपेशियों में दर्द थकान।
उतर 17. हां सच में जीवो का प्रयोग ऊर्जा के स्रोतों के रूप में भी किया जा सकता है। बायोगैस एक प्रकार से गैसों का मिश्रण है जो सूक्ष्मजीवों के सक्रियता द्वारा उत्पन्न होती है वृद्ध उपवास के दौरान सूक्ष्मजीव विभिन्न किस्मों के जैसी उत्पाद उत्पन्न करते हैं। जैसे नीथेन हाइड्रोजन सल्फाइड तथा CO2यह गैस से बायोगैस का निर्माण करते हैं। क्योंकि यह ज्वलनशील होती है। इस कारण उनका प्रयोग ऊर्जा के स्त्रोत के रूप में किया जा सकता है बायोगैस का सामान का गोबर गैस भी कहते हैं।
उत्तर 19. उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में सबसे अधिक स्तर की जाती समृद्धि पाई जाती है। इसको समझाने के लिए पारिस्थितिक तथा विकास विद्या ने अनेक परिकल्पना प्रस्तुत की हैं जिनमें से प्रमुख निम्नानुसार हैं।
1. उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में वातावरण लगभग एक समान ही बने रहते हैं। अतः जीवो को प्रतिबंधों का सामना नहीं करना पड़ता वातावरण के सामान होने से निकले निकले तुष्टीकरण प्रजाति विविधता बढ़ती है। यहां का अर्थ गर्म जलवायु सोच में जिलों की संख्या व सक्रियता बढ़ाने का कार्य करता है।
2 उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं से लगभग सुरक्षित रहते हैं। अतः जीवधारी में भी बिना से बचे रहते हैं।
3. क्षेत्र में सूर्य की किरणें सीधी पड़ती है। और अधिकतम सौर ऊर्जा प्राप्त होने से उत्पादकता भी अधिक होती है। जो जीव धारियों की अधिकतम संख्या हेतु उच्च संसाधन उपलब्ध कराती हैं।
उत्तर20. खाद्य श्रंखला तथा खाद्य जाल में अंतर
खाद्य श्रंखला= अरे पादा प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा भोजन का निर्माण करते हैं जिसका उपयोग प्राथमिक उपचार करते हैं प्राथमिक उपभोक्ताओं को द्वितीयक उपभोक्ता एवं द्वितीयक उपभोक्ता को तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता के रूप में ग्रहण करते हैं। इस प्रकार पारितंत्र में उत्पादक से उपभोक्ता श्रेणी के सभी जीव एक क्रम या श्रंखला में व्यवस्थित रहते हैं अतः अन्योन्याश्रित की एक श्रंखला को जिसमें खाने और खाए जाने की पुनरावृत्ति द्वारा ऊर्जा का प्रवाह होता है खाद्य श्रंखला में कहलाते हैं।
खाद्य जाल= वास्तविक रूप से प्रकृति में सरल खाद्य श्रंखला में नहीं होती हैं बल्कि विभिन्न श्रृंखलाएं आपस में किसी ना किसी खाद्यक्रम से जोड़कर एक अत्यंत जटिल खाद्य जाल का निर्माण करते हैं इसका कारण यह है कि एक ही प्राणी कई प्रकार के प्राणियों को अपना भोजन बना सकता है पारितंत्र में खाद्य जाल जितना जटिल व विशाल होता है उतना ही पारितंत्र स्थिर और व संतुलित होता है क्योंकि खाद जाल में वैकल्पिक व्यवस्था होती है।
उत्तर21. सामुदायिक वानिकी के तीन उद्देश्य
वन संरक्षण हेतु हिमालय के अनपढ़ जनजाति महिलाओं ने एक विशेष आंदोलन दिसंबर 1972 में प्रारंभ किया। जो चिपको आंदोलन के नाम से प्रसिद्ध हुआ यह आंदोलन उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में प्रारंभ हुआ इन महिलाओं ने पेड़ों से चिपक कर आंदोलन चलाया। जिसके कारण इन्हें सन 1978 में पुलिस की गोलियों का शिकार होना पड़ा देश के अन्य भागों में जनजातियां इस आंदोलन से प्रेरित हुए और पेड़ों के विनाश के विरुद्ध आवाज उठाई इसी प्रकार सन 1331 में राजस्थान में जोधपुर के निकट अमृता देवी और उसकी तीन बेटियां और बिश्नोई परिवार के सैकड़ों लोगों ने वृक्ष की रक्षा के लिए अपने प्राण गवा दिए इस प्रकार उन्होंने जनरल एवं जमीन की धरोहर को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उत्तर22. वैश्विक उष्णता= वैश्विक उष्णता मुक्ता मानव की बढ़ती हुई आबादी तथा उसकी क्रियाकलापों के कारण हो रही है। मानव द्वारा संसाधनों का दुरुपयोग जैव ईंधन भंडार का हास है।मानव क्रियाओं द्वारा वातावरण में CO2 की मात्रा एवं ग्रीन हाउस गैसों में बढ़ोतरी तथा समताप मंडल की ओर जॉन परत का हास आदि इसके प्रमुख कारण है। जो वैश्विक उष्णता में वृद्धि एवं भूमंडलीय पर्यावरण परिवर्तन लाने के लिए जिम्मेदार हैं ग्रीन हाउस प्रभाव के अंतर्गत आने वाले सौर विकिरण का लगभग एक चौथाई भागों में परिवर्तित हो जाता है। तथा दूसरा चौथाई भाग वायु मंडली द्वारा अवशोषित हो जाता है। लगभग आधा आने वाला सौर विकरण पृथ्वी की सतह पर पड़ता है और उसे गर्म करता है वह इसका कुछ भाग परिवर्तित होकर लौट जाता है। पृथ्वी की सतह अंतरिक्ष में अवरक्त वितरण के रूप में ऊष्मा उत्सर्जित करती है।किंतु इसका बहुत छोटा भाग्य अंतरिक्ष में जाता है क्योंकि इसका अधिकांश भाग वायुमंडल में गैसों के द्वारा अवशोषित हो जाता है पूर्ण विश्वव्यापी प उष्णता के लिए विभिन्न गैसों के योगदान है ।इन गैसों के रूप वितरित करते हैं।और इसका अधिकतर भाग पृथ्वी की सतह पर पुनः आ जाता है। और इसे फिर से गर्म करता है यह चक्र निकोबार होता रहता है इस प्रकार पृथ्वी की सतह पर नियंत्रण वायुमंडल गर्म होता रहता है ऊपर वर्णित गैसों को ग्रीन हाउस कहा जाता है। क्योंकि इनके कारण ग्रीन हाउस प्रभाव होता है।
उत्तर 23. जीन अभियांत्रिकी के लाभदायक एवं हानिकारक प्रभाव=
लाभदायक प्रभाव
1. औद्योगिक उपयोग उच्च वर्गों के जीवो के विटामिन प्रतिजैविक या हार्मोन के जिनको कोड करके तथा इनके संश्लेषित डीएनए को जीवाणुओं में पुनः स्थापित करके विटामिंस हारमोंस आदि यौगिकों का औद्योगिक स्तर पर संश्लेषण किया जाना संभव है इस विधि से इंसुलिन का ह्यूमुलिन नाम से जैव संश्लेषण किया गया है।
2. चिकित्सीय उपयोग नई दवाइयों का जल स्तर पर संश्लेषण तथा जीन चिकित्सा द्वारा हीमोफीलिया फिनायल कीटोन्यूरिया आदि वंशा गत रोगों का उपचार किया जाना संभव है।
3. कृषि क्षेत्र में उपयोग जीवाणु अथवा नीले हरे शैवाल से नाइट्रोजन योगीकीकरण करने वाले जींस का अनाज वाली फसलों में स्थानांतरण करने हेतु प्रयोग जारी है जिससे हमारी फसलें पर्यावरण से नाइट्रोजन का सीधा प्रयोग कर सकेंगे और हमें कृषि में प्रथम उर्वरक के उपयोग की आवश्यकता नहीं रहेगी।
4. जीन संरचना अभिव्यक्ति में परिवर्तन इस तकनीक द्वारा इच्छा अनुसार नए नए प्रकार के जीवन तथा वनस्पति का निर्माण संभव हो सकेगा।
हानिकारक प्रभाव
रोगाणु एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधी हो सकते हैं
आंत में पाए जाने वाले जीवाणु कैंसर कारक हो सकते हैं
सामान्य वायरस से अधिक खतरनाक वायरस का निर्माण हो सकता है।
उत्तर 24.
सह प्रभाविता नॉन मेंडलियन वंशागतिकी वह प्रकार जिसमें किसी जीव में एलील के जोडे के बीच का संबंध प्रभावित और प्रभावी जैसा ना हो बल्कि दोनों का प्रवाह f1 संकरो पर एक साथ पडता हो तो ऐसी स्थिति को सह प्रभाविता कहते हैं।
जीन R त्वचा के लाल रंग के लिए तथा r त्वचा के सफेद रंग के लिए जिम्मेदार होता है लाल रंग वाले पशुओं को सफेद त्वचा वाले पशु से क्रॉस करवाया जाता है तो ऐप दो पीढ़ी के संकर मवेशियों का रंग चितकबरा हो जाता है ।जिसमें लाल एवं सफेद दोनों के साथ साथ उपस्थित रहते हैं प्रथम पीढ़ी के पशुओं के बीच जब आपस में क्रॉस कराया जाता है ।तो f2 पीढ़ी के संभावित पशुओं में एक लाल एक सफेद एवं दो चितकबरी त्वचा वाले पशु पैदा होते हैं। सम लक्ष्ण एवं समजीनी अनुपात अपूर्ण प्रभाविता की तरह ही 1: 2: 1 का रहता है। सहप्रभाविता की स्थिति AB रक्त समूह के रूप में भी देखने को मिलता है AB भी रक्त समूह वाले व्यक्ति में जीन प्रारूIA तथा IB होता है जिसमें IA तथा IB सह प्रभाविता प्रदर्शन करता है यही कारण है कि दोनों का गुण एक साथ प्रदर्शित होता है तथा AB के रूप में अभिव्यक्त होता है।
3.अमोनीकरण यह बैक्टीरिया प्रोटीन तथा कुछ अन्य जटिल पदार्थों को अमोनिया में बदल देता है। जैसे बेसिलस माइक्रोन।
4. खाद्य श्रंखला में कुछ बैक्टीरिया पौधे तथा जंतुओं के मृत शरीर पर वृद्धि करते हैं। और इन जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल का अकार्बनिक पदार्थ में बदल देते हैं। इस कारण मृदा में पौधे के लिए उपयोगी पोषक तत्व संकेत होते हैं पौधे इन सरल अकार्बनिक तत्वों का अवशोषण करते हैं।
5. डेयरी उद्योग में बैक्टीरिया दूध में उपस्थित लैक्टोज शर्करा को लैपटॉप हमले में बदल देते हैं। इस कारण दूध खट्टा हो जाता है। इस प्रकार की क्रिया वाली मुख्य बैक्टीरिया है। जैसे स्ट्रैप्टॉकोक्कस लेप्टिस लैक्टोबैसिलस कैसीआई एसिडोफिलस इत्यादि।
6. अन उद्योग में अनेक महत्वपूर्ण पदार्थों का निर्माण विभिन्न बैक्टीरिया की सहायता से किया जाता है। सिरका लैपटॉप लाइसीन एसीटोन ब्यूटीनाल निर्माण से तथा जंतुओं को सढ़ाने व तंबाकू एवं चाय उद्योग में व्बैक्टीरियाका का विशेष महत्व है।
7. मानव के आंत्र में सहजीवन मानव तथा अनेक कशेरुकी प्राणियों के अंतर में पाया जाता है। यह बैक्टीरिया सामान्यता हानिकारक नहीं होता और पाचन क्रिया में सहायक होता है।
8. रोमनथी प्राणियों में इन प्राणियों के रूम में प्रथम अमावस में सैलूलोज के पाचन के काम करने वाले बैक्टीरिया जैसे रूमिनोकोक्कस इत्यादि पाए जाते हैं। प्राणी मुक्ता घास चलते हैं परंतु घास के सेल्यूलोज के केवल उनके रूमैन में पाए जाने वाले व्यक्ति ही अपघटक सकते हैं।
उत्तर 25.
एक प्रारूप भ्रूणकोष केंद्रक युक्त संरचना होते हैं जिसमें आठों केंद्र को का विन्यास निम्न प्रकार से होता है। 1. बीजांड के माइक्रोवायर की ओर फूडकोस्ट के दो केंद्र पाए जाते हैं। जिन्हें सहायक कोशिका कहते हैं ।
2. सहायक कोशिकाओं के ठीक ऊपर एक और केंद्र होता है। जिसे अन्य नाभिक कहते हैं। यह मादायुग्मक की तरह कार्य करता है।
3. भ्रूणकोष के चले जलसिरी पर तीन कोशिका होती है। जिन्हें प्रतिमुख्य कोशिका कहते हैं।
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