अन्योन प्रेरण का अर्थ समझाइए Mutual inductance in hind

अन्योन प्रेरण का अर्थ समझाइए Mutual inductance in hind

 प्रश्न 01:- अन्योन प्रेरण का अर्थ समझाइए इसके प्रयोग प्रदर्शन के लिए चित्र बनाइए


उत्तर- अन्योन्य प्रेरण [Mutual inductance] - जब किसी कुंडली में बहने वाली धारा के मान में परिवर्तन किया जाता है तो पास रखी दूसरी कुंडली से बध्द चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है जिससे उसमें प्रेरित विद्युत वाहक बल अर्थात प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न हो जाती है इस परिघटना को ही अन्योन्य प्रेरण कहते हैं जिस कुंडली में धारा के मान में परिवर्तन होता है उसे प्राथमिक कुंडली और जिस कुंडली में प्रेरित धारा उत्पन्न होती है उसे द्वितीय कुंडली कहते हैं द्वितीयक कुंडली में प्रेरित धारा तब तक प्रवाहित होती है जब तक कि प्राथमिक कुंडली में धारा के मान में परिवर्तन होते रहते हैं



उपर्युक्त चित्र में P और S दो कुंडलियां प्रदर्शित की गई हैं जिसमें P प्राथमिक कुंडली तथा S द्वितीयक कुंडली है कुंडली P के साथ श्रेणी क्रम में बैटरी E धारा नियंत्रक Rh तथा कुंजी K जुड़ी होती है कुंडली S के साथ धारामापी G जुड़ी होता है जब कुंजी K को दबाया जाता है तो कुंडली P में धारा बहने लगती है जिससे उसके चारों और चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है क्योंकि धारा के मान को अधिकतम मान तक स्थगित होने में समय लगता है तो पास रखी दूसरी कुंडली S से बध्द चुंबकीय प्लस में वृद्धि होने लगती है

अतः इससे विद्युत वाहक बल या प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है यह परिघटना अन्योन प्रेरण कहलाती है


प्रश्न 02:- अन्योन्य प्रेरकत्व को परिभाषित कीजिए इसका मात्रक तथा विमीय सूत्र लिखिए

उत्तर - पहली परिभाषा -  माना प्राथमिक कुंडली में I धारा प्रवाहित करने पर द्वितीयक कुंडली के चुंबकीय फ्लक्स का मान फाई2 है यदि द्वितीयक कुंडली में फेरों की संख्या N2हो तब          N2फाई2अनुक्रमानुपाती I

       N2फाई2 = mI1----------1

जहां m एक अनुपातिक नियतांक है जिसे दोनों कुंडलियों के मध्य अन्योन्य प्रेरण कहते हैं

समीकरण 1 से

           m =   N2फाई2  /I1---------2

यदि। I1 =1

   तब       m = N2फाई2

इस प्रकार दो कुंडलियों के मध्य अन्योन प्रेरकत्व अकिंक रूप से द्वितीय कुंडली में फ्लक्स की संख्या के बराबर होता है जबकि प्राथमिक कुंडली में एकांक धारा प्रवाहित हो रही हो


द्वितीय परिभाषा - फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के द्वितीय नियम से

       E= N2फाई2/dt

        E= -d( N2फाई2 )/dt


     = -d(mI1)/dt

     =  -mdI1/dt


 यदि dI1/dt = 1

 तब

                E= m (अंकितमान)

इस प्रकार दो कुंडलियों के मध्य अन्योन प्रेरकत्व अंकित रूप से द्वितीय कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल के बराबर होता है जबकि प्राथमिक कुंडली में धारा परिवर्तन की दर एकांक हों अन्योन प्रेरकत्व का मात्रक हेनरी होता है

तथा विमीय सूत्र  [ ML²T-²A-² ]


प्रश्न03:- स्वप्रेरण और अन्योन प्रेरण में अंतर स्पष्ट कीजिए

उत्तर- स्वप्रेरण और अन्योन प्रेरण में अंतर


  स्वप्रेरण

  अन्योन्य प्रेरण

किसी कुंडली में बहने वाली धारा के मान में परिवर्तन करने पर उसी कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल या प्रेरित धारा उत्पन्न होने हो जाती है तो इस परिघटना को स्वप्रेरण कहते हैं

किसी कुंडली में बहने वाली धारा के मान में परिवर्तन करने पर पास स्थित दूसरी कुंडली में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है इस परिघटना को ही अन्योन्य प्रेरण कहते हैं

इसमें केवल एक कुंडली होती है

इसमें दो कुंडलियां होते हैं

इसमें प्रेरित धारा मुख्यधारा के मान को सीधे प्रभावित करती है

इसमें प्रेरित धारा दूसरी कुंडली में प्रवाहित होती है अतः मुख्यधारा के मान को सीधे प्रभावित नहीं करती

स्वप्रेरण संबंधित गुणांक को स्वप्रेरकत्व कहत हैं

अन्योन्य प्रेरण से संबंधित गुणांक को अन्योन प्रेरकत्व कहते हैं







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