अन्योन्य प्रेरण किसे कहते हैं दो परिनालिकाओं के अन्योन्य प्रेरकत्व के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए

अन्योन्य प्रेरण किसे कहते हैं दो परिनालिकाओं के अन्योन्य प्रेरकत्व के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए

प्रश्न01:- अन्योन्य प्रेरण किसे कहते हैं दो परिनालिकाओं के अन्योन्य प्रेरकत्व के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए तथा यह किन किन कारकों पर निर्भर करता है

                 अथवा

अन्योन्य प्रेरकत्व को परिभाषित कीजिए 2 लंबी एक दूसरे पर लिपटी सामाक्षीऐ परिनालिकाओं के लिए अन्योन्य प्रेरकत्व के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए


उत्तर- अन्योन्य प्रेरण - जब किसी कुंडली में बहने वाली धारा के मान में परिवर्तन किया जाता है तो पास रखी दूसरी कुंडली से बध्द चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है जिससे उसमें प्रेरित विद्युत वाहक बल अर्थात प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न हो जाती है इस परिघटना को ही अन्योन्य प्रेरण कहते हैं जिस कुंडली में धारा के मान में परिवर्तन होता है उसे प्राथमिक कुंडली और जिस कुंडली में प्रेरित धारा उत्पन्न होती है उसे द्वितीय कुंडली कहते हैं

व्यंजक - माना S1  और S2  दो समाक्षीये परिनालिकये है जिनमे फेरो की संख्या N1और N2 तथा प्रति एकांक लंबाई में फेरों की संख्या  nऔर  n2  है.

माना दोनों परिनालिकाओं की लंबाई l

माना परिनालिका S2 के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल  Aहैं



यदि प्राथमिक कुंडली Sमें बहने वाली धारा । हो तो उसके अंदर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता


     B = म्यू० n1।--------1

    S1 = म्यू० N1।/ I        चुंकि n1= N1/ I


इस चुम्बकीय क्षेत्र के कारण परिनालिका S2

से बध्द चुम्बकीय फ्लक्स

   फाई = N2BA2

  फाई = N2(म्यू० n1।)A2/ I

  चुम्बकीय फ्लक्स = चुम्बकीय क्षेत्र x क्षेत्रफल

     फाई = N2म्यू० n1। A2 ।/l---------2

किन्तु फाई = m।---------3

समी 2 व 3 से

 

  m। = म्यू०N1N2 n1। A2 /l


  m = म्यू०N1N2 A2 /l


यदि दोनों परिनालिका ओं के मध्य उपस्थित माध्यम की चुंबक कन शीलता म्यू हो तो


     m = म्यू N1N2 A2 /l


प्रभावित करने वाले कारक-

  1. फेरों की संख्या- फेरों की संख्या अधिक होने पर अन्योन्य प्रेरकत्व का मान अधिक होता है

  2. परिनालिका की लंबाई पर- परिनालिका की लंबाई अधिक होने पर अन्योन्य प्रेरकत्व का मान कम होगा

  3. क्षेत्रफल पर- द्वितीयक परिनालिका का क्षेत्रफल अधिक होने पर अन्योन्य प्रेरकत्व का मान अधिक होगा


प्रश्न 02:- एक समान चुंबकीय क्षेत्र में गतिमान किसी चालक छड़ के शुरू में प्रेरित विद्युत वाहक बल के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए

उत्तर-  माना l लंबाई का एक चालक PQजो कागज के तल के लंबवत नीचे की ओर कार्यरत है एक समान चुंबकीय क्षेत्र B में उसके लंबवत वेग v से बायीं और गतिमान है

माना यह चालक U आकार के अन्य चालक की भुजाओं को स्पर्श करता हुआ स्वतंत्र रूप से गति करता है तथा घर्षण के कारण किसी भी प्रकार की ऊर्जा का क्षय नहीं होता है 

माना चालक PQ किसी क्षण t पर बंध लूप PQRS बनाता है तथा चुंबकीय क्षेत्र इस लूप के तल के लंबवत कार्य करता है



अब यदि PQ=RS=l तथा QR=x हो तो बंध लूप PQRS से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स


(जहाँ PQRS का क्षेत्रफल = lx )

        फाई B = B।X

अब फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के द्वितीय नियम से 


   E= -d फाई B/ dt

    E = - (Blx)/dt.      = -Bl. dx/dt


      E = -Blv 

यहां ऋणात्मक चिन्ह इस बात को प्रदर्शित करता है v और x की दिशा विपरीत होती हैंअतः यही एक समान चुंबकीय क्षेत्र में गतिमान किसी चालक छड़ के सिरों में प्रेरित विद्युत वाहक बल के लिए व्यंजक है



वैद्युत आवेश किसे कहते हैं | S. I. मात्रक | मात्रक, विमीय सूत्र

स्थिर वैद्युत बल और गुरुत्वाकर्षण बल

अक्षीय और निरक्षीय स्थिति में अंतर लिखिए


विद्युत द्विध्रुव तथा विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण को परिभाषित कीजिए तथा इसका S. I. मात्रक और विमीय सूत्र लिखिए


Chapter 02


Post a Comment

Previous Post Next Post

Mini

Ad Space