प्रत्यावर्ती LC परिपथ में निम्नलिखित ज्ञात कीजिए

प्रत्यावर्ती LC परिपथ में निम्नलिखित ज्ञात कीजिए

 प्रश्न 01:- प्रत्यावर्ती LC परिपथ में निम्नलिखित ज्ञात कीजिए

  1. परिणामी बोल्टता

  2. परिपथ की प्रतिवाधा

  3. परिणामी वोल्टता और धारा के मध्य कालांतर

  4. अनुनाद की आरती


उत्तर- माना प्रेरकत्व L और संधारित्र C को श्रेणी क्रम में प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में जोड़ा जाता है माना किसी क्षण t पर आरोपित प्रत्यावर्ती वोल्टता को निम्न समीकरण के द्वारा व्यक्त किया जाता है

            V= V०Sinओमेगा t


                 V= V०Sinओमेगा t

माना किसी क्षण परिपथ में बहने वाली धारा I है यदि सिरों के बीच वोल्टता तथा संधारित्र के सिरों के बीच बोल्टता VC हो तो

           VL.= IXL---------2

             VC= IXC………3 

वोल्टता VL धारा I से कला में 90° अग्रगामी तथा वोल्टता VC धारा I से 90° पश्चिमी होती है अतः VL और  VC के बीच का कलांतर 180° होगा अर्थात दोनों विपरीत दिशा में होंगे जिससे निम्न आलेख द्वारा प्रदर्शित किया गया है


परिणामी वोल्टता -  

             V= VL- VC

                         = IXL - IXC

               = I(XL - XC)

               =  I (ओमेगाL-1/ओमेगाC)

   V  = I (ओमेगाL-1/ओमेगाC)………4


प्रतिबाधा - समीकरण 4 से


      V / I = (ओमेगाL-1/ओमेगाC)



इसे प्रत्यावर्ती धारा परिपथ की प्रतिबाधा कहते हैं तथा इसे Z से प्रदर्शित करते हैं


Z =  V / I = ओमेगाL-1/ओमेगाC


या

Z = ओमेगाL-1/ओमेगाC



लान्तर - LCपरिपथ में वहने वाली धारा और परिणामी वोल्टता के मध्य कालांतर निम्न होगा

            फाई =+- π/2


अनुनाद की आवृत्ति - अनुनाद की स्थिति में   

     

          ओमेगाL= 1/ओमेगाC

                XL = XC


ओमेगाL= 1/ओमेगाC

        ओमेगा2= 1/LC

         

         ओमेगा = 1/√LC

किंतु    ओमेगा = 2 न्यू C

          = 1/2C√LC. = न्यू


अतः अनुनाद की आवृत्ति 

            

         न्यू = 1/2C√LC.   


प्रश्न 02:- प्रत्यावर्ती धारा परिपथ के लिए निम्नलिखित को सिद्ध कीजिए

      Pav = Vrms  × Irms    Cos थीटा


उत्तर- प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में माना प्रत्यावर्ती विभांतर

           V = V0 Sinओमेगाt ---------1

लगाया जाए तो उसमें प्रवाहित होने वाली प्रत्यावर्ती धारा

        I= I0 Sin(ओमेगाt-फाई) ---------2


प्रवाहित होने लगती है जहां फाई वोल्टता और धारा के मध्य कालांतर है


अतः परिपथ की तक्षणिक शक्ति.  

            P = VI

     = V0 Sinओमेगाt I0 Sin(ओमेगाt-फाई)

     = V0I0SinओमेगाtSin(ओमेगाt-फाई   = V0I0/2×2SinओमेगाtSin(ओमेगाt-फाई)

= V0I0/2 [Cosफाई -Cos(2ओमेगाt-फाई)]

   (2sinASinB= Cos(A-B)-Cos(A+B))


= V0I0/2 Cosफाई - V0I0/2Cos(2ओमेगाt-फाई)


एक पूर्ण चक्रधर में Cos(2ओमेगाt-फाई) का औसत मान शून्य होता है 


तब Pav = V0I0/2 Cosफाई

   = (V०/√2) x (।०√2) Cos फाई 

                                             proved


जहाँ Vrms और Irmsक्रमशः प्रात्यावती विभान्तर और धारा के वर्ग माध्य मूल मान है Cosफाई एक शक्ति गुणांक है इसका मान परिपथ की प्रक्रति पर निर्भर करता है


प्रश्न03:- किसी हवाई अड्डे पर सुरक्षा करणो से किसी व्यक्ति के धातु संनसूचक के द्वार पथ से गुजारा जाता है यदि उसके पास धातु से बनी वस्तु होती है तो धातु संनसूचक से एक ध्वनि निकलती है यह सन सूचक किस सिद्धांत पर कार्य करता है 

उत्तर - धातु सनंसूचक प्रत्यावर्ती परिपथ में अनुनाद के सिद्धांत पर कार्य करता है जब कोई व्यक्ति इस द्वार पथ से गुजरता है तो वह अनेक फेरोवाली कुंडली से होकर गुजरता है कुंडली एक ऐसी समस्वरित संधारित्र से जुड़ी होती है जिसके कारण परिपथ अनुनाद की स्थिति में होता है जब व्यक्ति धातु से बनी वस्तु को लेकर इस द्वार पथ से गुजरता है तो परिपथ की प्रतिबाधा में परिवर्तन होता है जिससे परिपथ में प्रवाहित धारा के मान में परिवर्तन हो जाता है फल स्वरुप परिपथ से जुड़ी घंटी बजने लगती है



Post a Comment

Previous Post Next Post

Mini

Ad Space