प्रश्न01:- साइक्लोट्रॉन का नामांकित चित्र बनाइए एवं इसका सिद्धांत लिखिए तथा दर्शाइए कि साइक्लोट्रॉन की त्रिज्या वेग के अनुक्रमानुपाती होती है
उत्तर- साइक्लोट्रॉन- साइक्लोट्रॉन एक ऐसी युक्ति है जिसकी सहायता से आवेशित कणों जैसे प्रोटोन अल्फा, कणों न्यूट्रॉन या आयनो को उच्च ऊर्जा तक त्वरित किया जा सकता है
सिद्धान्त - जब किसी धन आवेशित कण को प्रबल चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत उच्च आवृत्ति के विद्युत क्षेत्र में बार-बार गति कराई जाती है तो वह त्वरित होता जाता है और अत्यधिक ऊर्जा प्राप्त कर लेता है चुंबकीय क्षेत्र में परिक्रमण की आवृत्ति कण की ऊर्जा पर निर्भर नहीं करती है
संरचना- चित्र में साइक्लोट्रॉन की संरचना प्रदर्शित है इसमें D आवृत्ति के दो खोखले वृत्तीय अर्ध वृत्तीय धात्विक कक्ष d1और d2 होते हैं जिन्हें हम D डीज कहते हैं
दोनों डीज एक शक्तिशाली विद्युत चुंबक के ध्रुवो के बीच निर्वात कक्ष में इस प्रकार रखे जाते हैं कि उनके तल चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत हो जाते तथा इनके बीच थोड़ा सा गैप हो त्वरित किए जाने वाले आवेशित कण के स्त्रोत को उनके केंद्र पर रखा जाता है
दोनों डीच का संबंध उच्च आवृत्ति और उच्च वोल्टेज के दोलित्र से कर दिया जाता है इसकी आवृत्ति 107हार्टज से 108 हार्टज आज तक होती है
इस पूरी व्यवस्था को निर्वात कक्ष में रखा जाता है ताकि आयन वायु के अणुओं से टकराकर अपनी ऊर्जा ना खो दें
व्यंजक- माना चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण B तथा धनायन का वेग v है तब धनायन पर कार्य करने वाला लॉरेंज बल
= F = qvB------------1
यह बल धनायन को वृत्तीय गति करने के लिए आवश्यक अभिकेंद्र बल प्रदान करता है यदि वृत्तीय मार्ग की त्रिज्या r है तो
अभिकेंद्र बल = MV2/r--------2
समीकरण 1 व 2 से
qvB = MV2/r
r= MV /qB
यहां M, q तथा B के मान नियत हैं
तब
r अनुक्रमानुपाती v
अतः साइक्लोट्रॉन में व्रतीय मार्ग की त्रिज्या आयन के वेग v के अनुक्रमानुपाती होती है
प्रश्न02:- धारामापी किसे कहते हैं इसके प्रकारों को लिखिए
उत्तर- धारामापी (गैल्वेनोमीटर)- धारामापी उस उपकरण को कहते हैं जिसकी सहायता से किसी परिपथ में विद्युत धारा या धारा की उपस्थिति का पता लगाया जाता है अथवा धारा की प्रबलता का मापन किया जाता है
प्रत्येक धारामापी में एक कुंडली तथा एक चुंबक होता है इनमें से कोई एक स्थिर होता है तथा दूसरा विक्षेपित होता है इस आधार पर धारामापी दो प्रकार के होते हैं
चल चुंबक धारामापी(moving magnet galvanometer)- इस प्रकार के धारामापी में कुंडली स्थिर होती है तथा चुंबक विक्षेपित होती है यह भी दो प्रकार की होती है
01.स्पर्शज्या धारामापी 02. हेल्महोल्टेज धारामापी
02.चल कुंडली धारामापी ( moving oil galvanometer)- इस प्रकार के धारामापी में चुंबक स्थिर होती है तथा कुंडली विक्षेपित होती है
यह भी दो प्रकार के होते हैं
निलंबित कुंडली धारामापी(suspend dead coil galvanometer)
कीलकित कुंडली धारामापी या वेस्टन धारामापी (pivoted coil galvanometer or Western galvanometer)
प्रश्न03:- एक ऊर्ध्वाधर स्प्रिंग के नीचे के सिरे से एक भार लटक रहा है यदि स्प्रिंग में धारा प्रवाहित की जाए तो क्या होगा
उत्तर- एक ऊर्ध्वाधर स्प्रिंग के नीचे के सिरे जिसमें भार लटक रहा है यदि उसमें धारा प्रवाहित की जाए तो स्प्रिंग थोड़ा सिकुड़ जाएगा क्योंकि स्प्रिंग में अलग-अलग फेरों में विद्युत धारा एक ही दिशा में रहेगी जिससे अलग-अलग फेरों में आकर्षण होगा
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