लॉरेंज बल होता है इसके लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए

लॉरेंज बल होता है इसके लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए

 प्रश्न01:- एक समान चुंबकीय क्षेत्र में गतिमान आवेशित कण पर लगने वाले बल के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए तथा यह बल अधिकतम न्यूनतम बल कब होता है।

                 अथवा

लॉरेंज बल होता है इसके लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए यह किस अवस्था में न्यूनतम तथा किस अवस्था में अधिकतम होता है


उत्तर- लॉरेंज बल - जब कोई आवेश किसी चुंबकीय क्षेत्र में गति करता है तो उस पर एक बल कार्य करता है जिसे चुंबकीय लारेंज बल कहते हैं


व्यंजक- हम जानते हैं कि चुंबकीय क्षेत्र B में स्थित l लंबाई के तार में विद्युत धारा I प्रवाहित की जाए तो उस पर लगने वाला बल

  1.  आवेश के परिमाण के अनुक्रमानुपाती होता है

अर्थात  Fअनुक्रमानुपाती q

 02. चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता B के अनुक्रमानुपाती होता है

     अर्थात  Fअनुक्रमानुपातीB

  03. आवेश के वेग V के अनुक्रमानुपाती होता है

    अर्थात  Fअनुक्रमानुपातीv

 04.  sinथीटा के अनुक्रमानुपाती होता है जहां थीटा वेग v तथा चुंबकीय क्षेत्र B के मध्य कोण है

   अर्थात  Fअनुक्रमानुपातीsinथीटा


उपर्युक्त चारों को मिलाकर लिखने पर

        F =qvBsinथीटा

        F= KqvBsinथीटा………...1

जहां K एक अनुपातिक नियतांक है जिसका मान मापन की पद्धति तथा माध्यम पर निर्भर करता है इस प्रकार चुंबकीय क्षेत्र के लिए मात्रक का चयन इस प्रकार करते हैं कि

       k = 1

तब समीकरण एक से

          F =qvBsinथीटा


यही गतिमान आवेशित कण पर लगने वाले बल का व्यंजक है


सदिश रूप में

   Fवेक्टर = q(Vवेक्टरx Bवेक्टर)


विशेष स्थितियां - 

  1. यदि थीटा = 0° अर्थात कोई कण चुंबकीय क्षेत्र के समांतर गति करता है तो

 F =qvBsinथीटा         थीटा = 0°

    =qvB×0

  F= 0

अर्थात यदि कोई कण चुंबकीय क्षेत्र के समांतर गति करता है तो उस पर कोई बल नहीं लगेगा अर्थात बल का मान न्यूनतम होगा


 02. यदि थीटा = 90°

       अर्थात जब कोई कारण चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत गति करता है तब उस पर लगने वाला बल

F =qvBsinथीटा         sin90°= 1

   = qvB×1

F= qvB


अर्थात जब आवेशित कण चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत गति करता है तो उस पर लगने वाला बल अधिकतम होगा


प्रश्न02:- विद्युत बल और चुंबकीय बल में अंतर स्पष्ट कीजिए

उत्तर- विद्युत बल और चुंबकीय बल में अंतर निम्नलिखित हैं


  विद्युत बल

  चुंबकीय बल

आवेश q पर लगने वाले विद्युत बल का परिमाण F = qE होगा

आवेश q पर लगने वाले चुंबकीय बल का परिमाण         F =qvBsinथीटा होगा

विद्युत बल का मान आवेशित कण के वेग पर निर्भर नहीं करता

चुंबकीय बल का मान आवेशित कण के वेग के परिमाण तथा दिशा पर निर्भर करता है

स्थिर आवेशित कण पर भी विद्युत बल कार्य करता है

स्थिर आवेशित कण पर चुंबकीय बल कार्य नहीं करता

विद्युत बल सदैव विद्युत क्षेत्र के अनुदेश लगता है

चुंबकीय बल सदैव चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत लगता है

विद्युत क्षेत्र में लंबवत प्रवेश करने पर आवेशित कण का मार्ग परवलयाकार होता है

चुंबकीय क्षेत्र में लंबवत प्रवेश करने पर आवेशित कण का मार्ग वृताकार होता है



प्रश्न03:- चल कुंडली धारामापी में कुंडली के मध्य नर्म लोहे की क्रोड क्यों रखते हैं कारण सहित उत्तर दीजिए 


उत्तर- चल कुंडली धारामापी में कुंडली के मध्य नर्म लोहे की क्रोड रखने के निम्न लाभ हैं जो इस प्रकार है

  1. नर्म  लोहे की चुंबक शीलता अधिक होती है अतः इनमें से होकर अधिक अधिक बल रेखाएं गुजरने का प्रयास करती हैं जिससे चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता बढ़ जाती है

  2. चुंबकीय क्षेत्र को त्रिज्यीय होने में सहायता मिलती है


यही कारण है कि चल कुंडली धारामापी में कुंडली के मध्य नर्म लोहे की करोड रखते है।

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