12th physics notes in hindi pdf

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 प्रश्न 01:- किसी परिनालिका में धारा परिवर्तन की दर 2 एंपियर प्रति सेकंड होने पर उसमें 10 मिली देवर का विद्युत वाहक बल प्रेरित हो जाता है तो परीणालिका का स्वप्रेरकत्व कितना होगा


उत्तर- दिया है - dI/dt = 2 एंपियर 1 सेकंड

       E=10 मिली बोल्ट = 10×10-³ बोल्ट

                =  10-² बोल्ट

सूत्र = LdI/dt

        L = E/dI/dt

          = 10-² /2

        = 0.5 ×10-² हेनरी

        = 5.0 ×10-³ हेनरी

या।   = 5 मिली हेनरी


प्रश्न 02:- स्व प्रेरकत्व को परिभाषित कीजिए इसका मात्रक लिखिए तथा एक लंबी परिनालिका के स्व प्रेरकत्व के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए यह किन किन कारकों पर निर्भर करता है


उत्तर - स्वप्रेरण- जब किसी कुंडली में बहने वाली विद्युत धारा के मान में परिवर्तन किया जाता है तो उस कुंडली से बध्द चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है फलस्वरूप उसी कुंडली में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है इस परिघटना को ही स्वप्रेरण कहते हैं


स्वप्रेरकत्व द्वारा लंबी परिनालिका के लिए व्यंजक - माना किसी परिनालिका की लंबाई l उसमें फेरों की संख्या N तथा उसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A है


इसलिए प्रति एकांक लंबाई में फेरों की  संख्या = n = N/l

N/l यदि परिनालिका में प्रवाहित धारा का मान I हो तो

परिनालिका के अंदर उसके अक्षय पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र

  B = म्यू०nI  = =म्यू०nI/।-------1


यदि त्रिज्या की तुलना में परिनालिका की लंबाई बहुत अधिक हो तो उसके अंदर प्रत्येक बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र को एक समान माना जा सकता है

अतः परिनालिका के अंदर प्रत्येक फेरे से बध्द चुंबकीय फ्लक्स 

             फाई B= BA

         =( म्यू०nI/।) A


किन्तु L = Nफाई B/ I

           = N/ I( म्यू०nI/।) A

   =  म्यू०N²A/।--------2

अतः परिनालिका आपेक्षिक चुंबकशीलता की लोहे चुंबकीय पदार्थ की क्रोड पर लिपटी हो तो अभीष्ट स्वप्रेरकत्व

       L =   म्यूN²A/l हेनरी


स्वप्रेरकत्व को प्रभावित करने  वाले कारक - 

  1. परिनालिका के करोड़ नरम लोहे का रखने से स्व प्रेरकत्व का मान अधिक होता है

  2. फेरों की संख्या अधिक होने पर से स्वप्रेरकत्व का मान अधिक होता है

  3. अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल अधिक होने से स्वप्रेरकत्व का मान अधिक होता है

  4. परिनालिका की लंबाई अधिक होने से स्वप्रेरकत्व का मान कम हो जाता है


प्रश्न 03:- विद्युत चुंबकीय प्रेरण से संबंधित फैराडे के प्रयोगों को लिखिए

उत्तर-

 


फैराडे ने तांबे के विद्युत रोधी तार की कुंडली बनाकर उसके दोनों सिरों के मध्य एक धारामापी को जोड़ा तथा चुंबक और कुंडली के साथ निम्न प्रयोग किए

  1. जब चुंबक के उत्तरी ध्रुव को कुंडली के पास लाए तो धारामापी में विक्षेप एक दिशा में होता है

  2. जब चुंबक के उत्तरी ध्रुव को कुंडली से दूर ले जाते हैं तो धारामापी में विक्षेप दूसरी दिशा में होता है

  3. चुंबक को रोक देने पर विक्षेप शून्य हो जाता है

  4. यदि यही प्रयोग दक्षिणी ध्रुव को पास लाने और दूर ले जाने के लिए करें तब भी धारामापी में विक्षेप होता है

  5. यदि चुंबक को पहले की अपेक्षा तेजी से कुंडली के पास लाते हैं और दूर ले जाते हैं तो धारामापी में विक्षेप अधिक प्राप्त होता है

  6. चुंबक को स्थिर रखकर कुंडली को पास लाते हैं या दूर ले जाते हैं तब भी धारामापी में विक्षेप होता है


निष्कर्ष- चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होने पर ही प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है यह तभी संभव है जब चुंबक और कुंडली के मध्य आपेक्षिक गति होती है



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