प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान क्या होता है

प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान क्या होता है

प्रश्न 01:- प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान क्या होता है परिभाषित कीजिए तथा सिद्ध कीजिए कि एक पूर्ण चक्र में प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान शून्य होता है



उत्तर- प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान- प्रत्यावर्ती धारा को एक पूर्ण चक्र पूर्ण करने में उपयोग की गई धारा के औसत मान को प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान कहते हैं

प्रथम अर्ध्दचक्र में प्रत्यावर्ती धारा एक दिशा में तथा दूसरे अर्ध्दचक्र में विपरीत दिशा में प्रवाहित होती है अतः एक पूर्ण चक्र में प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान   शून्य  होता है 

प्रत्यावर्ती धारा को निम्न समीकरण के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है

      I = ।०sinओमेगाt

माना अत्यंतअल्प समय dt के लिए परिपथ में धारा का मान नियत रहता है तब dt समय में परिपथ में प्रवाहित आवेश

             dW = Idt

             dW =।०sinओमेगाdt-------1


इसलिए एक पूर्ण चक्र में प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान 

 Iav = 0 से T समय तक रहने वाला       आवेश/समय अंतराल


dW = -।०/Tओमेगा [cosओमेगाt]0T

= -।०/Tओमेगा [cosओमेगाt]02π/ओमेगा


     = -।०/Tओमेगा [cosओमेगा2π/ओमेगा - cos0]


      = -।०/Tओमेगा [cos2π- cos0]


       = -।०/Tओमेगा. [1-1]. 

       = 0

अतः पूर्ण चक्र में प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान शून्य होता है


प्रश्न02:- प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान किसे कहते हैं तथा इसके लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए


 उत्तर- वर्ग माध्य मूल मान- एक पूर्ण चक्र में I2 के मध्य के वर्गमूल को प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान कहते हैं इसे Irms से प्रदर्शित करते हैं 

    I2 के मध्य के वर्गमूल को  Irms कहते हैं


प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान तथा शिखर मान में संबंध  I०और Irms  मैं संबंध


प्रत्यावर्ती धारा को निम्न समीकरण के द्वारा प्रदर्शित करते हैं

     I = ।०sinओमेगाt--------1

यदि  Irms  प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान हो तो



= I०2/2T  [ t-sin 2ओमेगा t/2ओमेगा ] T0


I= I०2/2T  [ T-sin 2ओमेगा T/2ओमेगा-0] 

      I= ।०/2T [T-0 ]

         = I०2 /2T×T

   I2rmsI०2/2

    = Irms =  ।०/√2

     = 0.707।०


अतः Irms =  0.707।०


अता प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान इसके शिकार मान का 1/√2 या 0.707 गुना होता है


प्रश्न03:- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए

  1. प्रतिरोध

  2. प्रतिघात

  3. प्रतिबाधा

उत्तर- 

  1.  प्रतिरोध - किसी चालक द्वारा दिष्ट धारा या प्रत्यावर्ती धारा के मार्ग में डाले गए अवरोध को उस चालक का प्रतिरोध कहते हैं इसे R से प्रदर्शित करते हैं

इसका मात्रक होम होता है


   02. प्रतिघात- प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रेरक कुंडली अथवा संधारित्र के द्वारा धारा के मार्ग में उत्पन्न अवरोध को प्रतिघात कहते हैं इसे X से प्रदर्शित करते हैं इसका मात्रक ओम होता है

प्रतिघात के व्युत्क्रम को अनुक्रियता कहते हैं

इसका मात्रक ओम-1 या साइमन होता है

प्रतिघात दो प्रकार का होता है

  1. प्रेरकीय प्रतिघात- प्रेरक कुंडली के द्वारा प्रत्यावर्ती धारा के मार्ग में उत्पन्न अवरोध को प्रेरकीय प्रतिघात कहते हैं इसे XL से प्रदर्शित करते हैं

  2. संधारित्रीय प्रतिघात- संधारित्र द्वारा प्रत्यावर्ती धारा के मार्ग में उत्पन्न अवरोध को संधारित्रीय प्रतिघात कहते हैं इसे XC से प्रदर्शित करते हैं


    03.प्रतिबाधा - प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में ओमीय प्रतिरोध प्रेरक कुंडली और संधारित्र में से दो या दो से अधिक के द्वारा प्रत्यावर्ती धारा के मार्ग में उत्पन्न अवरोध को प्रतिबाधा कहते हैं 

इसे Z से प्रदर्शित करते हैं

प्रतिबाधा के व्युत्क्रम को प्रवेश्यता कहते हैं इसका मात्रक ओम-1 या साइमन होता है





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