प्रश्न01:- श्रेणी क्रम और समांतर क्रम में संयोजित संधारित्र के नामांकित चित्र बनाइए तथा प्रत्येक स्थिति में तुल्य धारिता हेतु व्यंजक ज्ञात कीजिए
अथवा
तीन संधारित्र C1,C2,C3 श्रेणी क्रम में संयोजित किए गए हैं तुल्य धारिता के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए श्रेणी क्रम को संयोजित कीजिए
अथवा
तीन संधारित्र C1,C2,C3 समांतर क्रम में संयोजित किए गए हैं तुल्य धारिता के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए तथा संधारित्र को कब समांतर क्रम में संयोजित किया गया है
उत्तर:- श्रेणी क्रम संयोजन :- संधारित्रो के श्रेणी क्रम संयोजन में पहले संधारित्रो के दूसरे संधारित्र की पहली प्लेट से जोड़ा जाता है अंतिम संधारित्र की दूसरी प्लेट को प्रथ्वी करते हैं
चुकी पहले संधारित्र की दूसरी प्लेट का संबंध दूसरे संधारित्र की पहली प्लेट से है तो प्रेरित स्वतंत्र + Q दूसरे संधारित्र की पहली प्लेट में चला जाता है यह क्रिया निरंतर चलती रहती है तथा अंतिम संधारित्र की दूसरी प्लेट का संबंध पृथ्वी से करने से प्रेरित स्वतंत्र आवेश + Q पृथ्वी में चला जाता है माना C1,C2,C3, संधारित्र की प्लेटों के बीच विभांतर V1,V2,V3 है तब परिणामी विभांतर
V= V1,V2,V3--------3
सूत्र V=Q/C
तब V1=Q/C1
V2= Q/C2
तथा V3= Q/C3
तब समीकरण 1 से
Q/C = Q/C1 +Q/C2 +Q/C3
=. 1/C = 1/C1 + 1/C2 +1/C3
अर्थात संधारित्रो के श्रेणी क्रम संयोजन में तुल्य धारिता का व्युत्क्रम प्रतेक संधारित्र के व्युत्क्रम के योग के बराबर होता है
समांतर क्रम संयोजन = संधारित्र के समांतर क्रम संयोजन में प्रत्येक संधारित्र पहली प्लेट एक बिंदु A से दूसरी प्लेट को दूसरे बिंदु B से जोड़ दिया जाता है बिंदु B का संबंध पृथ्वी से करके बिंदु A को आवेशित किया जाता है
माना तीनों संधारित्रों को प्राप्त आवेश क्रमशःQ1,Q2 तथा Q3 है प्रत्येक संधारित्र की दोनों प्लेटों बिंदु A और बिंदु B के बीच संयोजित है इसलिए इनके बीच विभांतर समान है
तब
Q= Q1+Q2+Q3-----------1
तथा सूत्र
Q= CV
Q1= C1V
Q2= C2V
Q3=C3V
तब समीकरण 1 से
Q= C1V+C2V+C3V
CV= C1V+C2V+C3V
CV= V(C1+C2+C3)
अतः C= C1+C2+C3
संधारित्रो के समांतर क्रम संयोजन में कुल धारिता का मान प्रत्येक संधारित्र की धारिता के योगफल के बराबर होता है
श्रेणी क्रम संयोजन का उपयोग= संधारित्रो को श्रेणी क्रम में तब संयोजित करना चाहिए जब तुल्य धारिता का मान कम करना हो
समांतर क्रम संयोजन का उपयोग= संधारित्र को समांतर क्रम में तब संयोजित करना चाहिए जब तुल्य धारिता के मान में वृद्धि करना हो
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