मीटर सेतु का सिद्धांत

मीटर सेतु का सिद्धांत

प्रश्न01:- मीटर सेतु किस सिद्धांत पर कार्य करता है विद्युत परिपथ खींचए एवं व्याख्या कीजिए एवं इस युक्ति का उपयोग अज्ञात प्रतिरोध ज्ञात करने में किस प्रकार किया जाता है

                   अथवा

विद्युत परिपथ खींचकर संक्षेप में समझाइए कि किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात करने के लिए मीटर सेतु का उपयोग किस प्रकार किया जाता है


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उत्तर- मीटर सेतु - मीटर सेतु व्हीट स्टोन सेतु के सिद्धांत पर आधारित उपकरण है जिसकी सहायता से किसी तार का प्रतिरोध अथवा उसके पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध ज्ञात किया जाता है

इसमें 1 मीटर लंबा तार प्रयुक्त होता है


संरचना- इसमें मैग्नीज का बना 1 मीटर लंबा तार होता है जिसका अनुप्रस्थ परिच्छेद समान होता है जिसे लकड़ी के तख्ते  मैं उसकी लंबाई के समांतर लगा होता है इस तार के दोनों सिरों L के आकार की तांबे के दो मोटे पट्टियो { (AM) तथा (cy) }जिन का प्रतिरोध नगन्य  होता है से जुड़े होते हैं तार के समांतर तख्ते पर 1 मीटर पैमाना लगा होता है तांबे की दो पत्तियों के बीच तांबे की तीसरी मोटी पट्टी NX इस प्रकार लगी होती है कि MN और XY के बीच नियत गैप होता है



सिद्धांत- मीटर सेतु व्हीट स्टोन सेतु के सिद्धांत पर कार्य करता है वही स्टोन सेतु के समान इसमें भी चार प्रतिरोधP,Q,R, और होते S हैं यदि मीटर सेतु के तार AC में संतुलन बिंदु B पर प्राप्त हो तो तार AC के भाग AB  का प्रतिरोध P के बराबर तथा BC का प्रतिरोध ठीठा के बराबर होता है तथा प्रतिरोध बॉक्स में प्रतिरोध प्रतिरोध R तथा खाली स्थान XY में अज्ञात प्रतिरोध जुड़ा S होता है इस प्रकार मीटर सेतु को व्हीट स्टोन सेतु के सिद्धांत से चारों प्रतिरोधों को संयोजित कर निम्न अज्ञात प्रतिरोध ज्ञात किया जा सकता है.


     S = R (100-l)/l


सावधानियां- 

  1. प्रतिरोध बॉक्स में सभी प्लग तथा संयोजक पेज अच्छे से कसना चाहिए

  2. परिपथ में विद्युत धारा तभी प्रवाहित करना चाहिए जबकि प्रेक्षण लेने हो अन्यथा अधिक देर तक धारा प्रवाहित करने पर तार गर्म हो जाता है जिससे उसका प्रतिरोध बढ़ जाता है


प्रश्न02:- विभवमापी बोल्ट मीटर से क्यों श्रेष्ठ है

अत्तर- वोल्टमीटर की सहायता से विद्युत परिपथ के किन्हीं दो सिरो के बीच विभांतर मापते समय कुछ विद्युत धारा बोल्ट मीटर से होकर बहती है अतः बोल्ट मीटर के द्वारा मापा गया विभांतर वास्तविक विभवांतर से कुछ कम होता है किंतु विभवमापी की सहायता से उन्हीं दो बिंदुओं के बीच विभांतर मापते समय संतुलन की स्थिति में उसके द्वारा तनिक भी विद्युत धारा नहीं ली जाती है इस प्रकार विभवमापी के द्वारा विद्युत वाहक वल विभांतर का मान सही प्राप्त होता है इसलिए विभवमापी वोल्ट मीटर से श्रेष्ठ है


प्रश्न03:- विभवमापी की सुग्राहिता से आप क्या समझते हैं तथा इसके लिए आवश्यक शर्तें लिखिए

उत्तर- विभवमापी की सुग्राहिता - एक विभवमापी सुग्राहिता कहलाती है यदि उसके द्वारा अल्प विद्युत वाहक बल या अल्प विभांतर का मापन यथार्थता पूर्वक किया जा सके

इस प्रकार विभवमापी की सुग्राहिता के लिए संतुलन बिंदु की लंबाई l का मान अधिक होना चाहिए


शर्ते- 

  1. विभवमापी की तार की लंबाई जितनी अधिक होगी वह विभवमापी उतनी ही आधिक सुग्राही होगी

  2. परिपथ में जुड़े संचायक सेल का विद्युत वाहक बल का मान कम हो तो विभवमापी उतने ही अधिक सुग्राही होगी


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