Mp Board class 12th physics Important Question Chapter-2 स्थिर वैद्युत तथा धारिता
प्रश्न01ः- दो आवेशित चालकों की धारिता आएं C1 और C2 उन्हें Q1 और Q2आवेश देने पर उनके विभव क्रमशः V1 और V2 हो जाते हैं यदि उन्हें चालक तार से जोड़ दिया जाए तो निम्नलिखित को ज्ञात कीजिए
उभयनिष्ठ विभव
संयोजन ऊर्जा हानि
उत्तर:- उभयनिष्ठ विभव :- माना Aऔर B 2 पृथक्कृत चालक गोले है चालक A को Q1 आवेश देने पर उसका विभव v1 वन तथा चालक B को Q2 आवेश देने पर उसका विभव v2 हो जाता है
माना V1>V2
यदि Aऔर B की धारिता C1 और C2 हो तो
Q1 = C1 V1 Q2 = C2V2
तब कुल अवेश Q = Q1+ Q2 तब
Q =C1V1+C2V2
जब दोनों चालकों को एक चालक दार द्वारा जोड़ा जाता है तो आवेश अधिक विभव वाले चालक A से कम विभव वाले चालक B की ओर प्रवाहित होने लगता है यह प्रभाह तब तक चलता रहता है जब तक कि दोनों का विभव समान नहीं हो जाता है।
माना उभयनिष्ठ विभव V है
तब
v= विभव की परिभाषा से
v= कुल आवेश / कुल धारिता
v = C1V1+C2V2/C1+C2
यही उभयनिष्ठ विभव का व्यंजक है
ऊर्जा ह्वास (ऊर्जा हानि)=
जोड़ने के पूर्व चालक A की ऊर्जा - 1/2C1V1²
तथा चालक B की ऊर्जा -1/2C2V2²
अतः जोड़ने के पूर्व दोनों चालकों की कुल ऊर्जा V=1/2C1V1²+1/2C2V2²--------1
दोनों चालकों को जोड़ने के बाद चालक A की ऊर्जा= 1/2C1V1²
तथा चालक B की उर्जा= 1/2C2V2²
अतः A और B दोनों चालकों को जोड़ने के बाद कुल ऊर्जा
V2=1/2C1V²+1/2C2V²-----------2
उत्तर-परावैद्युत -परावैद्युत पदार्थ वे पदार्थ होते हैं जो अपने में से आवेश को प्रभावित नहीं होने देते हैं परंतु विद्युत प्रभाव का प्रदर्शन करते हैं
जैसे- कागज , मोम , लकड़ी , अभ्रक , प्लास्टिक आदि
परावैद्युत दो प्रकार के होते हैं
ध्रुवीय परावैद्युत - यह वे पदार्थ होते हैं जिनके अणुओ के धनावेश के केन्द्र और ऋणावेश के केन्द्र समपाती नही होते
जैसे- H2O ‚ HCl आदि
अध्रुवीय पराबैद्युत- ये वे पदार्थ होते है जिनके अणुओ के धनावेशो के केन्द्र और ऋणावेश के केन्द्र समपाती होते है
जैसे- H2 ‚O2 आदि
प्रश्न03:- संधारित्र में संचित ऊर्जा या आवेशित चालक की ऊर्जा को परिभाषित कीजिए
उत्तर- किसी चालक को आवेशित करने के लिए कुछ कार्य करना पड़ता है यही कार्य चालक में वैद्युत स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित होता है जिसे संधारित्र की ऊर्जा या आवेशित चालक की उर्जा कहते हैं
मान लो किसी चालक को + Q आवेश दिया जाता है यह आवेश चालक में एक साथ नहीं जाता अपितु इसमें कुछ समय लगता है तब हम ऐसा मानते हैं कि चालक में आवेश इकाई के रूप में दिया गया है चालक को पहला इकाई आवेश देने पर कोई कार्य नहीं करना पड़ता क्योंकि प्रारंभ में चालक पर कोई आवेश नहीं होता इस प्रकार प्रारंभिक विभव शून्य होता है जब चालक को दूसरा इकाई अवेश दिया जाता है तो कुछ कार्य करना पड़ता है इसी प्रकार चालक को तीसरा चौथा ………. इकाई आवेश देने पर विभव का मान बढ़ता जाता है
इसी को संधारित्र में संचित ऊर्जा या आवेशित चालक की ऊर्जा कहते हैं
मान लो अंतिम इकाई आवेश देने पर विभव का मान v हो जाता है
औसत विभव =O+V/2. = V/2
चालक को आवेशित करने पर किया गया कार्य
W= अवेश x औसत विभव
W =. Q× V/2
W= ½ QV
आवेशित चालक की उर्जा
U=½ QV
परंतु Q=CV
समीकरण 1 Q में का मान रखने पर
U = ½ CVV
U = ½ CV2 ---------2
परंतु V=Q / C
v का मान समीकरण एक में रखने पर
U. = ½ Q. Q/C
U = ½ Q2/C---------3
समीकरण 1‚2 व 3 आवेशित चालक की उर्जा के व्यंजक हैं
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