प्रश्न01:-संधारित्र किसे कहते हैं इसका सिद्धांत समझाइए
उत्तर:- संधारित्र:-संधारित्र एक ऐसी युक्ति है जिसकी सहायता से किसी चालक के आकार या आयतन में बिना परिवर्तन किए उसकी धारिता बढ़ाई जा सकती है इसका उपयोग अत्यधिक मात्रा में विद्युत आवेश और विद्युत ऊर्जा को संचित करने में किया जाता है
सिद्धांत:-
माना A एक पृथक्कृत चालक प्लेट है जिसे कुछ धन आवेश दिया गया है माना अन्य धन आवेशित चालक प्लेट B को इसके पास लगाया जाता है तब विद्युत प्रेरण की क्रिया से प्लेट में A के समीप वाले तल पर ऋण आवेश तथा दूसरे वाले तल पर धन आवेशित प्रेरण हो जाता है प्लेट B पर प्रेरित ऋण आवेश प्लेट A के विभव को बढ़ाने का प्रयास करता है प्रेरित ऋण आवेश प्रेरित धन आवेश की तुलना में प्लेट A के आधिक पास इसलिए A का प्रभाव अधिक पड़ता है जिससे प्लेट A का विभव कम हो जाता है इस प्रकार सूत्र C = q/V से चालक की A ki धारिता बढ़ जाती है अब यदि प्लेट B का संबंध पृथ्वी से कर दियाजाए तो स्वतंत्र धन आवेश पृथ्वी से कर दिया जाता है तो स्वतंत्र धन आवेश पृथ्वी में चला जाता है इस प्रकार यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है इस प्रकार चालक की धारिता में वृद्धि हो जाती है
प्रश्न02:- विद्युत द्विध्रुव के कारण निरक्षीय स्थिति में किसी बिंदु पर विद्युत विभव के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए
उत्तर:- माना AB एक विद्युत द्विध्रुव है जो +q और - q आवेशों से मिलकर बना है माना द्विध्रुव की लंबाई 2l है इसके केंद्र O r दूरी पर निरक्षीय स्थिति में बिंदु । P स्थित है जिस पर हमें विद्युत विभव की गणना करनी है
+q आवेश के कारण बिंदु P पर विभव
VA = 1/4πEo. q./AP
-q आवेश के कारण बिंदु P पर विभव
VB = 1/4πEo. .(-q)/BP
चूंकि AP = BP
चूंकि विभाव एक अदिश राशि है अत: p पर परिणामी विभव
V= VA=VB
= 1/4πEo. q./AP. + 1/4πEo. .(-q)
= q/4πEo. [ 1/AP - 1/BP ]
= q/4πEo × 0. ( AP =BP)
V=0
इस प्रकार निरक्षीय स्थिति में किसी बिंदु पर विभव का मान O होता है
प्रश्न03:-विद्युत क्षेत्र की तीव्रता एवं विभांतर में संबंध स्थापित करो
उत्तर- विद्युत क्षेत्र की तीव्रता एवं विभांतर में संबंध :- माना विद्युत क्षेत्र में AB कोई दो बिंदु स्थित है विद्युत क्षेत्र की दिशा A से B की ओर है यदि इनकी बीच की दूरी dr अत्यंत अल्प हो तो इनके बीच विद्युत क्षेत्र को एक समान माना जा सकता है
.
+q______A________B____Eवेक्टर
० ____dr____
माना बिंदु A पर विभव A+ dv है तथा बिंदु B पर विभाव v है एकांक धन आवेश को विद्युत क्षेत्र E के विरुद्ध B से A तक लाने में किया गया कार्य
dW = E.dr ------1
विभांतर की परिभाषा से dW = VB-VA
= V =(V+dv)
= V-v-dv
dW = -dv-----------2
समी 1 व 2 से
E.dr = _dv
E = dv/dv
यहाँ - चिन्ह इस बात को प्रदर्शित करता है। कि विस्थापन dr और विद्युत क्षेत्र E दोनों की दिशाएं विपरीत है
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