अनुनादी परिपथ किसे कहते हैं

अनुनादी परिपथ किसे कहते हैं

प्रश्न 01:- अनुनादी परिपथ किसे कहते हैं यदि एक प्रत्यावर्ती परिपथ में L प्रेरकत्व C धारिता व R प्रतिरोध श्रेणी क्रम में जोड़े हैं तो निम्न लिखित को ज्ञात कीजिए

  1. परिणामी विभांतर (वोल्टता)

  2. प्रीतिवाधा

  3. कालांतर

  4. अनुनाधी आवृत्ति

                  अथवा

प्रत्यावर्ती के LCRपरिपथ के लिए प्रति वादा का आयाम ज्ञात कीजिए


उत्तर - अनुनादी परिपथ - जब श्रेणी LC परिपथ याLCR परिपथ में प्रतिबाधा का मान न्यूनतम होता है तो परिपथ में बहने वाली धारा का मान अधिकतम होता है इस घटना को अनुनाद कहते हैं इस स्थिति में प्रत्यावर्ती विद्युत वाहक बल की आवृत्ति को अनुनादी आवृत्ति कहते हैं तथा यह परिपथ अनुनादी परिपथ कहलाता है


परिणामी विभांतर - प्रत्यावर्ती परिपथ में चित्र के अनुसार एक प्रेरकत्व Lधारिता C और R प्रतिरोध प्रत्यावर्ती विद्युत वाहक बल में श्रेणी क्रम में जोड़े हैं 


     V = V० Sinओमेगा t 

यदि किसी क्षण परिपथ में रहने वाली धारा I हो तो प्रेरकत्व L के सिरों के बीच विभांतर

                

              VL = IXL---------1

              VC = IXC---------2


प्रतिरोध R के सिरों के बीच विभांतर  

     = VR = IR-----------3

 VR और । सामान कला में होते हैं VC धारा । हो 90° अग्रगामि तथा VCधारा । से पश्चगामि होती है।    

अतः VL और VC के बीच 180 डिग्री का कलंतर होगा

 VL और VC का परिणामि VL- VC होगा


स्पष्ट है कि VL- VC और VR के बीच कलांतर होगा

अतः परिणामी विभवांतर V हो तो 

      V² = VR² + (VL- VC

       V =√VR² + (VL- VC

       V = √I²R² + I² (XL- XC

       V = I √R² + (XL- XC)²--------4



प्रतिबाधा -  समी. 4 से

      V/I = √R² + (XL- XC)²--------4


उपरोक्त को ही परिपथ की प्रतिवाधा कहते हैं


अतः Z= V/I =  √R² + (XL- XC

                    

       =  √R² + (ओमेगाL- 1/ ओमेगा C)²


कलान्तर- यदि विभांतर V और धारा । के मध्य कालांतर फाई हो तो

    =  tanफाई = VL- VC / VR

      

      = IXL- IXC/ IR

      = XL- XC/ R

     tanफाई = ओमेगाL- 1/ ओमेगाC/R

फाई = tan-¹ओमेगाL- 1/ ओमेगाC/R


परिपथमैं बहने वाली धारा निम्न लिखित समीकरण के द्वारा व्यक्त की जाती है

       I = I० Sinओमेगा t 


जहाँ I० = V०/ Z= V० /√R² + (XL- XC


धारा आयाम I०= √R² + (XL- XC


अनुनाद की आवृत्ति - अनुनाद की स्थिति

            

         ओमेगाL = 1/ ओमेगाC

       = ओमेगा² = 1/ LC

       = ओमेगा = 1/ √LC


परन्तु   ओमेगा =2π न्यू   या 2πf

    इसलिए = 2π न्यू   = 1/√LC

       न्यू = 1/2π√LC


इस परिपथ का उपयोग रेडियोग्राफी ट्यूनिंग में किया जाता है


प्रश्न01:- एक अर्ध्दचक्र में प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान ज्ञात कीजिए

उत्तर:- प्रत्यावर्ती धारा को निम्न समीकरण द्वारा दर्शाते हैं

           I = I० Sinओमेगा t 

माना अत्यंत अल्प dt समय के लिए परिपथ में धारा का मान नियत रहता है तब dt समय में परिपथ में प्रवाहित आवेश

          dq = I.dt.  

               = I० Sinओमेगा t

इसलिए एक अर्ध्दचक्र में प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान = 

  Iav = 0 से T/2 समय तक आवेश/ T/2-0

      

  = - 2 I०/Tओमेगा [Cosओमेगाπ/ ओमेगा - Cos 0  ]


       = - 2 I०/Tओमेगा [ -1-1 ]

       = +4।०/2π 

       = 2।०/π


अतः एक अर्ध्दचक्र A.C.में का औसत मान  2।०/π  होता है


प्रश्न 03:- प्रत्यावर्ती धारा चुंबकीय प्रभाव या रासायनिक प्रभाव प्रदर्शित नहीं करती है क्यों

उत्तर :- प्रत्यावर्ती धारा पहले अर्ध्दचक्र में एक दिशा में तथा दूसरे अर्ध्दचक्र में विपरीत दिशा में बहती है इस प्रकार एक पूर्ण चक्र में प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान शून्य होता है इस कारण प्रत्यावर्ती धारा चुंबकीय प्रभाव तथा रासायनिक प्रभाव प्रदर्शित नहीं करती है

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