CGBSE Open School History Paper 2021 Download

CGBSE Open School History Paper 2021 Download

CGBSE Open School इतिहास Paper 2021 Download | 12th Cg Open School Paper Solution

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दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको छत्तीसगढ़ ओपन स्कूल कक्षा बारहवीं के इतिहास के पेपर का हल बताने जा रहे हैं।आपको इस वेबसाइट पर छत्तीसगढ़ बोर्ड कक्षा 12वीं के सभी विषयों के हल मिल जाएंगे। साथ में आपको इसी पीडीएफ भी प्रोवाइड कराई जाएगी।





प्रश्न क्रमांक 11 का हल


औद्योगिकरण तथा शहरों में बेहतर आर्थिक सुविधाओं के चलते ग्रामीण जनसंख्या का शहरों में पलायन शहरीकरण कहलाता है।


प्रश्न क्रमांक 12 का हल


मेगस्थनीज यूनानी शासक सेल्यूकस का राजदूत था जो चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था मैं किस तमीज ने भारत की यात्रा के पश्चात इंडिका नामक पुस्तक लिखी।


प्रश्न क्रमांक 13 का हल


जातक या जातिका लिया जातक कथाएं बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक का सूत्र पिटक अंतर्गत खद्दकनिकाय 20 वां भाग इन कथाओं में भगवान बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथाएं विश्व की प्राचीनतम लिखित कहानियां जातक कथाएं हैं जिसमें लगभग 600 कहानियां संग्रह की गई है यही ईसवी संवत से 300 वर्ष पूर्व घटना है।


प्रश्न क्रमांक 14 का हल


प्राचीन भारत के धार्मिक साहित्य आइए जागरूक पर आज प्राचीन भारत के धार्मिक साहित्य के बारे में जानकारी लेते हैं भारतीय साहित्य समृद्धि और संपन्न साहित्य और विभिन्न भाषाओं में लिखे जाने के बावजूद भी एक ही है भारतीय साहित्य धार्मिक नीति का सामाजिक और ऐतिहासिक साहित्य का भंडार है जो हमारी धरोहर है। ऐसे में क्यों ना आज प्राचीन भारत के धार्मिक साहित्य को करीब से जानने की कोशिश करें ताकि हम समझ पाए कि प्राचीन भारत के धर्म का ज्ञान हम तक साहित्य के किस रूप से होकर पहुंचा है प्राचीन भारत का समृद्ध धार्मिक साहित्य दो भागों में विभाजित है ब्राह्मण साहित्य और ब्राह्मणेतर साहित्य ब्राह्मण साहित्य में वेद ब्राह्मण ग्रंथ अरण्यक उपनिषद् वेदांत सूत्र महाकाव्य पुराण स्मृति आदि आते हैं।


प्रश्न क्रमांक 16 का हल


राज्य विलय नीति लॉर्ड डलहौजी द्वारा लागू की गई अधिग्रहण नीति थी कोई भी भारतीय राज्य जो अंग्रेजी अधीनस्थ व्यवस्था के तहत पास राज्य के रूप में अंग्रेजों के प्रत्यक्ष नियंत्रण में हो या अंग्रेजों द्वारा निर्मित हो शासक पुत्र ना होने की स्थिति तथा इसके अधम होने की स्थिति में अपने आप ही ब्रिटिश राज के अधीन हो जाएगा।

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प्रश्न क्रमांक 17 का हल


उदार वादियों द्वारा मान्यता प्राप्त नैसर्गिक अधिकार निर्णय थे--अत्याचार का विरोध निजी संपत्ति धर्म चुनने की स्वतंत्रता बोलने का था अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सरकार में भागीदारी इत्यादि।


प्रश्न क्रमांक 18 का हल


द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उपनिवेशीकरण देशों को सहाई सेना में शामिल किया गया युद्ध में भागीदारी से इन लोगों को पूर्व नागरिकता के अधिकारों की जानकारी हुई तथा राष्ट्रीय स्वाधीनता की मांग करने की प्रेरणा मिली।


प्रश्न क्रमांक 19 का हल


ईसापुर छठी शताब्दी का काल काफी महत्वपूर्ण था इस काल में विभिन्न महाजनपदों का उदय हुआ बौद्ध ग्रंथ अंग उत्तर निकाय में इस काल के 6 महाजनपदों का उल्लेख प्राप्त होता है मगर कौशल युवा और अवंती इस काल के शक्तिशाली महाजनपदों में से एक थे इन महाजनपदों के शासकों के पास बड़ी बड़ी बड़ी सेना थी । इसके अतिरिक्त इस साल राज्य को चलाने के लिए बड़ी मात्रा में संसाधनों की आवश्यकता थी इन शासकों ने अपने राज्यों की सुरक्षा के लिए बड़ी संख्या में किलो का निर्माण कराया बड़ी सेनाओं के रखरखाव के लिए एक विभिन्न खेलों के निर्माण के लिए अत्यधिक धन की आवश्यकता होती है। इस काल में भी बुरा जैसे ही राज्य की आमदनी का प्रमुख स्रोत था भू राजस्व उपज का एक बटे 6 भाग था इसके अतिरिक्त राज्य का प्रशासन चलाने के लिए विभिन्न अधिकारियों का वेतन देने हेतु एवं विभिन्न कार्यों के लिए धन की आवश्यकता होती थी इसलिए करो को एकत्र करना काफी महत्वपूर्ण था कर का भुगतान नगद एवं अन्य के रूप में किया जाता था। भूमि एवं फसल के अतिरिक्त शिल्पो पर भी कर लगाया जाता था मैं पार के माध्यम से बेची एवं खरीदी जाने वाली वस्तुओं पर भी कर लगाया जाता था। व्यापार के माध्यम से बेची एवं खरीदी जाने वाली वस्तुओं पर भी कल लगाया जाता था साम्राज्य विस्तार के अंतर्गत विभिन्न युद्धों के लिए भी धन की आवश्यकता होती थी जिसके लिए करो का एकत्रीकरण जरूरी था क्योंकि कर ही राज्य की आमदनी का प्रमुख स्रोत था।


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प्रश्न क्रमांक 20 का हल


अशोक का धम्म धार्मिक क्रांति नहीं वरन विश्व बंधुत्व की शिक्षा प्रदान करता है जिसमें सभी संप्रदाय की अच्छी बातें सम्मिलित की गई थी धाम में संयम शुद्धि और अहिंसा पर जोर दिया गया जबकि विरोध क्रोध तथा अहंकार को त्यागने की शिक्षा मिलती है उसने निरंतर मानव की नैतिक उन्नति का प्रयास किया। अशोक के धर्म की विशेषताएं अशोक का धम्म सार्वभौमिक था जिसमें प्राचीन सभी धर्मों की बातें समाई थी धमा इंसा पर विशेष जोर देता है और सभी प्राणियों के प्रति दया का भाव जगाता है आडंबर पूर्ण अनुष्ठानों के स्थान पर मूल धार्मिक सभाओं पर बल दिया गया है धर्म किसी भी धर्म को स्वीकार करने की अनुमति प्रदान करता है धर्म का प्रश्न अल शांतिप्रिया हिंसा तथा प्रेम के आधार पर किया गया है।

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प्रश्न क्रमांक 21 का हल


भारत में सूफी मत का उदय तुर्की साम्राज्य के उदय से पहले ही हो गया था नवी शताब्दी के साधकों के लिए सूफी शब्द का इस्तेमाल होने लगा था भारत में सूफी मत काफी लोकप्रिय हुआ इसकी लोकप्रियता का कारण उनकी शिक्षाएं भी थे उदार से चाय समाज के सभी लोगों के लिए थी सूफी शिक्षाओं के कुछ महत्वपूर्ण पहलू निम्नलिखित हैं।


सूफी लोग एक ईश्वर की आराधना में विश्वास करते थे। एवं लोगों को भी एक सच्चे ईश्वर की भक्ति करने के लिए प्रेरित करते थे।


सोफी साधक आत्मा की सत्ता को भी स्वीकार करते थे इनके अनुसार आत्मा ईश्वर ही है एवं ईश्वर का साक्षात्कार करना ही आत्मा का मूल लक्ष्य होना चाहिए।


सूफी मत में गुरु को काफी महत्व प्रदान किया गया इनके अनुसार मनुष्य बिना गुरु के कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकता ईश्वर के साक्षात्कार को महसूस करने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है।


सूफियों के अनुसार ईश्वर को प्राप्त करने के लिए शुद्ध हृदय का होना परम आवश्यक है जब तक इंसान का हृदय रूपी शीशा साफ नहीं होता तब तक वह ईश्वर की साक्षात्कार नहीं कर सकता।


सूफी साधकों के अनुसार कुरान एक महान ग्रंथ है एवं मनुष्य को उसकी शिक्षाओं पर चलना चाहिए इनके अनुसार ईश्वर बड़ा दयालु है इसलिए मानव को उससे एक आकार तथा मिलन करना चाहिए।


सोफी साधकों ने प्रेम को काफी महत्व प्रदान किया है इस समय का आधार ही प्रेम है सूफियों के अनुसार ईश्वर को प्रेम के द्वारा ही पाया जा सकता है


सूफीवाद मनुष्यता को काफी महत्व प्रदान करता है इसके अनुसार लोगों को अच्छे कर्म करने चाहिए अच्छा कर्म व्यक्ति को ईश्वर के नजदीक ले जाता है।


परमात्मा के साथ एकाकार हो ना सूफी मत का सबसे महत्वपूर्ण अक्षिता सूफी साधक परमात्मा में पुणे विलीन हो जाने को फना की अवस्था मानते हैं।


सोफी मानव को काफी महत्व प्रदान करते हैं एवं मनुष्य को आपस में प्रेम एवं सौहार्द से रहने की शिक्षा देते हैं इनके अनुसार मनुष्य यदि ईश्वर को पाना चाहता है तो उसे उसके बनाए गए इंसान से भी प्रेम करना चाहिए

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क्रमांक 22 का हल


सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अंतर्गत दो प्रकार के मत प्रकट किए गए थे पहला मत जाए कि भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की कुछ बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाना जैसे समाज में व्याप्त सती प्रथा जाति प्रथा इत्यादि जो भारतीय धर्म एवं समाज को अभिन्न अंग बन गई थी इसके अतिरिक्त राजा राममोहन राय एवं ईश्वर चंद्र विद्यासागर जैसे व्यक्तियों ने इन बुराइयों को दूर करने के प्रयास किए दूसरा मत्था अंग्रेजों द्वारा भारतीय संस्कृति एवं धर्म ने दखल देने के प्रयास का विरोध करना जिसके कारण भारतीय लोग अंग्रेजों के खिलाफ हो गए अलग-अलग विचार के कारण यह दोनों दृष्टिकोण अलग अलग लग सकते हैं परंतु सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की दृष्टि से यह दोनों मत एक दूसरे से अलग ना होकर एक दूसरे के पूरक है एवं इनको अलग नहीं किया जा सकता सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का विचार जैसा 19वीं शताब्दी में विकसित हुआ था इसके अनुसार पारंपारिक भारतीय संस्कृति की बुराइयों को शक्ति से नकारा जाना था इसके अलावा शासन से भी इसकी तुलना की गई थी परंतु भारतीय सुधारक इससे भिन्न दृष्टिकोण रखते थे वह अपने समाज को अधिक तो बनाना चाहते थे परंतु अपनी सभ्यता एवं संस्कृति के मूल्य की कीमत पर नहीं वह बाकी समाज से सभी प्रकार की बुराइयों को खत्म करना चाहते थे परंतु अपने धर्म एवं रीति-रिवाजों को कीमत पर नहीं वह भारतीय समाज की अधिक उन्नत देखना चाहते थे परंतु इसके लिए उन्होंने पश्चिमी दिशा के साथ-साथ भारतीय भाषाओं एवं शिक्षा को भी समान महत्व दिया वास्तव में 19वीं शताब्दी में भारत में संस्कृति राष्ट्रवाद जिस रूप में भारत में प्रचलित था उसका यही संसार है।


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प्रश्न क्रमांक 23 का हल


बौद्ध धर्म भारत का एक प्रमुख धर्म रहा है इसका उदय छठी शताब्दी के आसपास हुआ बौद्ध धर्म की नई परिस्थितियों के अनुकूल था और इनसे ने भारतीय यूनानी यों और मध्य एशियाई लोगों को आपस अनुयाई बनाया बौद्धों ने अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथाएं भी अपना-अपना संदेश फैलाने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक साधनों का उपयोग करने वाले बौद्ध बिच्छू अकेले नहीं थे अगर हम प्रमुख धार्मिक परंपराओं को देखें तो पाएंगे कि दीर्घकालीन सफलता का श्रेय उन अनेक तरीकों को जाता जिनसे उन्होंने संप्रेषित किया जैसे संगीत चित्र कथा वाचक और उपासना केंद्र निर्मित करने के लिए प्रयोग की मूर्तिकला की विभिन्न शैलियों ने भी बौद्ध धर्म के प्रसार में सहायता की।









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